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IOT क्या है ? ( What is IOT ? ) | आईओटी (IOT) की विशेषताएं (Features of IOT)

What is IOT ? (IOT क्या है ?)

IoT (Internet of Things) एक तकनीकी परियोजना है जो आपके दैनिक जीवन के विभिन्न उपकरणों को इंटरनेट से जोड़ने की अनुमति देती है। इसका उद्देश्य है अलग-अलग उपकरणों को एक साथ कनेक्ट करना और आपके दैनिक जीवन को सुविधाजनक बनाना। जैसे कि स्मार्ट टीवी, स्मार्टफोन, स्मार्ट होम उपकरण जैसे कि लाइट्स, फैंस, एसकीयू इत्यादि।

इस तकनीक के जरिए, आप अपने उपकरणों को रिमोटली कंट्रोल कर सकते हैं और उन्हें अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर या टैबलेट से आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। यह आपको समय और ऊर्जा बचाने में मदद करता है और आपके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है।

इस तकनीक के साथ, आप अपने उपकरणों को एक साथ कनेक्ट करने के साथ-साथ, वे आपकी वास्तविक ज़िन्दगी के साथ भी संघटित होते हैं। यह आपके लिए सुविधाजनक होता है क्योंकि आप अपने उपकरणों को अपने आवश्यकताओं और विचारों के अनुसार नियंत्रित कर सकते हैं ।
Definition of IOT (IOT की परिभाषा)
आईओटी (IoT) का अर्थ होता है "इंटरनेट ऑफ थिंग्स"। यह एक ऐसी तकनीक है जो विभिन्न उपकरणों और संयोजनों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ती है। इससे समान्तर रूप से, उपकरणों और संयोजनों को आपस में जोड़कर इंटरनेट के माध्यम से वे एक नेटवर्क बना लेते हैं।

आईओटी के माध्यम से, आप अलग-अलग उपकरणों और संयोजनों को संचालित कर सकते हैं और इन्हें एक साथ एक समूह में संयुक्त कर सकते हैं। यह आपको अपने उपकरणों को सामान्य नेटवर्क के माध्यम से जोड़ने की अनुमति देता है, जो आपको विशेष व्यवस्थापक योग्यता, सुरक्षा और संगठन के साथ अपने उपकरणों को संचालित करने में मदद करता है।

Iot का fullform

IoT का फुलफॉर्म "Internet of Things" है।

Who Started IOT? (IOT की शुरूआत किसने की? )

IoT (Internet of Things) की शुरुआत कई लोगों द्वारा की गई है, लेकिन इसे कई लोगों को कॉन्सेप्ट्स और टेक्नोलॉजी इनोवेशन की प्रोत्साहना से जुड़ा हुआ है।

1982 में, कंप्यूटर साइंटिस्ट और कार्यकारी वाइस प्रेसिडेंट केविन अश्ले ने सिक्योरिटी के लिए एक तंत्र विकसित किया था, जिसे वह एक कॉफी पॉट को ऑन और ऑफ करने के लिए उपयोग करता था।

बाद में, 1990 के दशक में, स्मार्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग इंडस्ट्री और व्यापार में बढ़ने लगा।

2000 के दशक में, सिस्टम एंड सेंसर नेटवर्क्स की विकसिति और व्यापार के लिए स्मार्ट विन्यास वाले संबंधित सॉफ्टवेयर विकसित होने लगे।

आज कल, IoT ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी जगह बना ली है जैसे स्मार्ट होम, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट कार, स्मार्ट हेल्थकेयर इत्यादि।


Who Invented IOT (IOT का शोध किसने लगाया?)

आईओटी (IoT) तकनीक का शोध विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। इस तकनीक का विकास लंबे समय से चल रहा है, लेकिन आधुनिक IoT की शुरुआत 1990 के दशक में यूनाइटेड किंगडम के एक प्रोफेसर केविन अश्टन (Kevin Ashton) द्वारा की गई थी। वे कंप्यूटर नेटवर्किंग में काम करते थे और उन्होंने थिंग्स (वस्तुएं) के इंटरनेट (Internet of Things) के बारे में सोचा था। उन्होंने इस तकनीक के महत्व को समझा और उसे विस्तार से देखने के लिए नए विचारों को शामिल किया।

केविन अश्टन के अलावा, और भी वैज्ञानिक जो IoT के विकास में अहम भूमिका निभाते हुए आए हैं, जैसे जी.एफ. हैर्ट (G.F. Hart), एरिक ब्रिटन (Eric Britton), एम.एम. वैद्यनाथन (M.M. Vaidyanathan), और एन.एच. शाह (N.H. Shah)।

Example of IOT (IOT के उदाहरण)

आईओटी के उदाहरणों में से कुछ हैं:

स्मार्ट होम: आज के दौर में, स्मार्ट होम आईओटी के उदाहरणों में से एक है। स्मार्ट डोरलॉक, स्मार्ट लाइट्स, स्मार्ट थर्मोस्टेट और स्मार्ट सिक्योरिटी सिस्टम जैसे उत्पाद घर को स्मार्ट बनाते हैं।

स्मार्ट सिटी: एक और आईओटी का उदाहरण है स्मार्ट सिटी। इसमें स्मार्ट पार्किंग, जल संचय व्यवस्था, ट्रैफ़िक मॉनिटरिंग और एम्बुलेंस सर्विस जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

विश्व व्यापी जाल: आईओटी उपयोगकर्ताओं को विश्व व्यापी जाल के माध्यम से इंटरनेट एक्सेस की सुविधा प्रदान करता है।

स्मार्ट फार्मिंग: आज, किसान आईओटी के माध्यम से अपनी खेती को स्मार्ट बना सकते हैं। इसमें स्मार्ट स्कैनर, स्मार्ट फर्टिलाइजर और स्मार्ट इरिगेशन सिस्टम जैसी सुविधाएं शामिल हैं।

आईओटी (IOT) की विशेषताएं (Features of IOT)

आईओटी (IOT) की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:

संबंधित डिवाइसों के बीच संचार: IoT डिवाइस एक दूसरे से संबंधित होते हैं और इसके लिए उनमें संचार के लिए संबंधित तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

स्वचालन और नियंत्रण: IoT डिवाइस अपने आप स्वचालित होते हैं और उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है दूर से।

सेंसर्स और एक्टुएटर्स: IoT डिवाइस विभिन्न सेंसर और एक्टुएटर्स के साथ लैस होते हैं जो उन्हें अधिक सक्रिय बनाते हैं और संचार के लिए उनके बीच संबंध स्थापित करते हैं।

बिग डेटा: IoT डिवाइस विशाल डेटा सेट को उत्पन्न करते हैं जो उन्हें उनके संचार और संग्रहण के लिए संबंधित तकनीकों का उपयोग करके व्यवस्थित किया जा सकता है।

संभावित उपयोग: IoT डिवाइस का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है जैसे कि स्मार्ट होम, स्वास्थ्य देखभाल, उद्योग, कृषि, शहरी विकास आदि।

आईओटी (IoT) के कुछ साधन (Some of the IoT devices)

आईओटी (IoT) के कुछ साधन निम्नलिखित हो सकते हैं:

स्मार्टफोन और टैबलेट: स्मार्टफोन और टैबलेट में अधिकतर सेंसर होते हैं जो उपयोगकर्ता की जानकारी को संग्रहित करते हैं। इन सेंसरों का उपयोग घर और कार्यालय के अंदर स्मार्ट होम और बिजनेस एग्रीगेशन में किया जा सकता है।

स्मार्ट टीवी: स्मार्ट टीवी में भी आईओटी तकनीक लगाई जा सकती है जिससे आप उसके द्वारा अन्य संबंधित सेवाओं तक पहुंच सकते हैं।

स्मार्ट होम: स्मार्ट होम के लिए उपकरण जैसे कि थर्मॉस्टेट, स्मार्ट लॉक, सुरक्षा कैमरे, स्मार्ट लाइटिंग इत्यादि आईओटी तकनीक के साथ लगाए जा सकते हैं।

स्मार्ट विज्ञापन: आईओटी तकनीक का उपयोग स्मार्ट विज्ञापन में भी किया जाता है जिससे कि उपयोगकर्ताओं को उनके शॉपिंग प्रवृत्तियों के आधार पर संबंधित विज्ञापनों को दिखाया जा सकता है।

Why do we need IoT (हमें आईओटी की आवश्यकता क्यों है)


इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things, IoT) की मदद से हम अपने आसपास के विभिन्न डिवाइसों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ सकते हैं, जिससे वे एक दूसरे से संचार कर सकते हैं और डेटा साझा कर सकते हैं। यह तकनीकी आविष्कार किए गए उपकरणों और संयंत्रों के साथ अपनी व्यवस्थाओं, सेवाओं और व्यवहारों को बेहतर बनाने में मदद करता है।

यह हमें आसानी से अपने आसपास के उपकरणों को नियंत्रित करने और उनका प्रबंधन करने की अनुमति देता है, जो आमतौर पर अलग-अलग सिस्टमों और उपकरणों के लिए अलग-अलग नियंत्रण पैनलों की आवश्यकता को कम करता है।

इसके अलावा, IoT हमें और बेहतर डेटा संग्रह और विश्लेषण की सुविधा भी प्रदान करता है, जो हमें अपने उत्पादों और सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह विभिन्न क्षेत्रों में जैसे स्वास्थ्य देखभाल, विनियामक प्रणाली, संचार, ऊर्जा और संचार के क्षेत्र में उपयोगी है।

Iot के फायदे (Benifits of IOT)

आईओटी या इंटरनेट ऑफ थिंग्स के फायदे निम्नलिखित हैं:

संचार एवं जुड़ाव: आईओटी से जुड़े डिवाइस के माध्यम से विभिन्न विभागों एवं उनके स्टेकहोल्डर्स के बीच संचार एवं जुड़ाव बढ़ते हैं।

क्षमता एवं उत्पादकता बढ़ती है: आईओटी से जुड़े डिवाइसों से अधिक संबंधित डाटा और सूचनाएं प्राप्त होती हैं जिससे संबंधित लोगों की क्षमता एवं उत्पादकता में सुधार होता है।

उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ती है: आईओटी के उपयोग से उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ती है क्योंकि इससे इनके निर्माण एवं डिज़ाइन में सुधार होता है और समय से पहले खराब होने वाले उत्पादों की पहचान एवं ट्रैकिंग की जा सकती है।

समय एवं खर्च कम होते हैं: आईओटी से जुड़े डिवाइसों से लोगों को समय एवं खर्च दोनों की बचत होती है। यह समय से पहले खराब होने वाले उत्पादों को ट्रैक करने में भी मदद करता है।

आईओटी (IoT) के मुख्य थ्रेट्स और चैलेंज (Main Threats and Challenges of IoT)


आईओटी (IoT) के मुख्य थ्रेट्स और चैलेंज निम्नलिखित हैं:

सुरक्षा की कमी: इंटरनेट से जुड़े उपकरणों में सुरक्षा की कमी हो सकती है जो कि सुरक्षा घातक हो सकती है। अगर एक उपकरण हैक हो जाता है तो हमेशा उससे जुड़े सभी उपकरण खतरे में हो सकते हैं।

गोपनीयता का खतरा: IoT उपकरण जोड़ने से लोगों की गोपनीयता का खतरा बढ़ता है। उपकरण डेटा का उपयोग करके, आपके व्यक्तिगत जानकारी को खुली छूट से उपयोग किया जा सकता है।

टेक्नोलॉजी की विषमता: IoT उपकरणों की विषमता एक चुनौती होती है क्योंकि अलग-अलग उपकरण अलग-अलग तकनीक से काम करते हैं। इससे उन्हें समन्वित करना और संभवतः अलग-अलग तकनीक का उपयोग करके एक साथ काम करना मुश्किल होता है।

बैटरी लाइफ: IoT उपकरण जोड़ने से उनकी बैटरी लाइफ भी कम हो जाती है। यदि उपकरण बार-बार चालू होते हैं तो उनकी बैटरी कम समय में खत्म हो जाएगी।

Challenges


आईओटी (IoT) एक विस्तृत जगत है जो भविष्य में हमारी जिंदगियों को बदलने के लिए तैयार है। हालांकि, इसमें कुछ मुख्य चुनौतियां हैं जो अभी तक हमें निपटने की आवश्यकता हैं।

सुरक्षा: IoT उपकरणों की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। ये उपकरण इंटरनेट से जुड़े होते हैं और इसलिए सुरक्षा के बिना इन्हें हानि पहुंचाने का खतरा होता है। अन्य बातें जैसे असुरक्षित फ़ाइलों का आश्वासन, उपयोगकर्ताओं के डेटा की निजता, सामान्य असुरक्षा, आदि भी उपयोगकर्ताओं को परेशान कर सकती हैं।

मानकों की अभाव: IoT उपकरण विभिन्न मानकों के लिए बनाए जाते हैं, जैसे ब्लूटूथ, जीएसएम, जीएसएस, आदि। इन स्टैंडर्डों की अभाव कई बार उपयोगकर्ताओं को परेशान कर सकती है।

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